Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 84.
154. lappuse
... है यह प्रश्न स्वयम् अभिनव गुप्त ने उठाया है और उत्तर दिया है - भिन्ने कथमनुसन्धानम् , संस्कारादिति । यह हेतु स्थानीय संस्कार शब्द ...
... है यह प्रश्न स्वयम् अभिनव गुप्त ने उठाया है और उत्तर दिया है - भिन्ने कथमनुसन्धानम् , संस्कारादिति । यह हेतु स्थानीय संस्कार शब्द ...
344. lappuse
... हैं- " एक तो बौद्धिक या द्वंतवादी जिसमें काव्य को नैतिक और अनैतिक के द्वन्द्वों के भीतर देखा जाता है और नैतिक पक्ष का रसास्वाद किया ...
... हैं- " एक तो बौद्धिक या द्वंतवादी जिसमें काव्य को नैतिक और अनैतिक के द्वन्द्वों के भीतर देखा जाता है और नैतिक पक्ष का रसास्वाद किया ...
400. lappuse
Hari Mohan Mishra. और व्यष्टिपरक होता है तथा इसी पर आधारित तार्किक ज्ञान प्रत्यायात्मक और समष्टिपरक होता है । अनुभविक ज्ञान कल्पना के ...
Hari Mohan Mishra. और व्यष्टिपरक होता है तथा इसी पर आधारित तार्किक ज्ञान प्रत्यायात्मक और समष्टिपरक होता है । अनुभविक ज्ञान कल्पना के ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने