Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 88.
277. lappuse
... हुआ । पूर्व से आलोचना की अपनी परम्परा नहीं रहने के कारण बगला साहित्य ने यूरो- पीय आलोचना के आदर्श को मान लिया । ' बंगदर्शन ' में एक ...
... हुआ । पूर्व से आलोचना की अपनी परम्परा नहीं रहने के कारण बगला साहित्य ने यूरो- पीय आलोचना के आदर्श को मान लिया । ' बंगदर्शन ' में एक ...
285. lappuse
... हुआ । युग के प्रतिनिधि उपन्यासकार प्रेमचन्द का निधन भी उसी वर्ष हुआ 1 ( ४ ) युग के प्रतिनिधि नाटककार जयशंकर प्रसाद का अन्तिम नाटक ...
... हुआ । युग के प्रतिनिधि उपन्यासकार प्रेमचन्द का निधन भी उसी वर्ष हुआ 1 ( ४ ) युग के प्रतिनिधि नाटककार जयशंकर प्रसाद का अन्तिम नाटक ...
311. lappuse
... हुआ । यह कार्य अनुवाद के द्वारा शुरू हुआ । १५ ९ ० ई ० में जगन्नाथ दास रत्नाकर का ' समालोचनादर्श ' नागरी प्रचारिणी प्रत्रिका में ...
... हुआ । यह कार्य अनुवाद के द्वारा शुरू हुआ । १५ ९ ० ई ० में जगन्नाथ दास रत्नाकर का ' समालोचनादर्श ' नागरी प्रचारिणी प्रत्रिका में ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने