Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 84.
50. lappuse
... वस्तु गम्भीर , वस्तु -- यह प्रारम्भिक तत्व है । जीवन में जो वस्तु । इस दृष्टि से घटनाओं का संघटन ही वस्तु है दोनों होती हैं ...
... वस्तु गम्भीर , वस्तु -- यह प्रारम्भिक तत्व है । जीवन में जो वस्तु । इस दृष्टि से घटनाओं का संघटन ही वस्तु है दोनों होती हैं ...
51. lappuse
... वस्तु एक ही होनी चाहिए । वस्तु की एकता एक पात्र के वर्णन मात्र से नहीं आती , क्योंकि एक पात्र के जीवन में भी विभिन्न घटनाएं घटती ...
... वस्तु एक ही होनी चाहिए । वस्तु की एकता एक पात्र के वर्णन मात्र से नहीं आती , क्योंकि एक पात्र के जीवन में भी विभिन्न घटनाएं घटती ...
103. lappuse
... वस्तु भी कहते हैं । प्रासंगिक वस्तु वह है जो प्रासंगिक वस्तु के सहायक के रूप में रहे अर्थात् नायक की फल प्राप्ति में सहायक ही ...
... वस्तु भी कहते हैं । प्रासंगिक वस्तु वह है जो प्रासंगिक वस्तु के सहायक के रूप में रहे अर्थात् नायक की फल प्राप्ति में सहायक ही ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने