Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.3. rezultāts no 84.
95. lappuse
... रस की निष्पत्ति होती है । क्या दृष्टान्त है ? कहते हैं - जिस प्रकार कई तरह के व्यंजन , ओषधि और द्रव्य के मिलने से रस उत्पन्न होता है ...
... रस की निष्पत्ति होती है । क्या दृष्टान्त है ? कहते हैं - जिस प्रकार कई तरह के व्यंजन , ओषधि और द्रव्य के मिलने से रस उत्पन्न होता है ...
96. lappuse
... रस होने की बात कही गई है । स्थायी भाव रस होते हैं , इसी से यह स्पष्ट हो जाता है कि स्थायी भाव और रस दोनों दो हैं , एक नहीं । सभी साधनों ...
... रस होने की बात कही गई है । स्थायी भाव रस होते हैं , इसी से यह स्पष्ट हो जाता है कि स्थायी भाव और रस दोनों दो हैं , एक नहीं । सभी साधनों ...
150. lappuse
... रस की अनुभूति कोई व्यक्ति अपने मृत नहीं प्राप्त कर सकता । इसी प्रकार वास्तविक जीवन में बन्धु के शोक में करुण रस की अनुभूति नहीं ...
... रस की अनुभूति कोई व्यक्ति अपने मृत नहीं प्राप्त कर सकता । इसी प्रकार वास्तविक जीवन में बन्धु के शोक में करुण रस की अनुभूति नहीं ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने