Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 85.
24. lappuse
... मात्र चरम अनुभूति के आधार पर । काव्यानुभूति काल्पनिक होती है , अतः सहृदय वैयक्तिकता की लघु सीमा से ऊपर उठ जाता है और उस ...
... मात्र चरम अनुभूति के आधार पर । काव्यानुभूति काल्पनिक होती है , अतः सहृदय वैयक्तिकता की लघु सीमा से ऊपर उठ जाता है और उस ...
129. lappuse
... मात्र काव्य हैं और न अर्थ मात्र । शब्द मात्र काव्य हो तो संगीत भी काव्य कहला सकता है और यदि अर्थमात्र काव्य हो तो इतिहास , पुराण आदि ...
... मात्र काव्य हैं और न अर्थ मात्र । शब्द मात्र काव्य हो तो संगीत भी काव्य कहला सकता है और यदि अर्थमात्र काव्य हो तो इतिहास , पुराण आदि ...
210. lappuse
... थे , पाते हैं । मात्र शब्द अर्थात् वाचक काव्य नहीं हो सकते । कारण कोई ' वर्ण सावर्ण्यरम्यता ' मात्र उत्पन्न कर सकते हैं , इसी प्रकार मात्र ...
... थे , पाते हैं । मात्र शब्द अर्थात् वाचक काव्य नहीं हो सकते । कारण कोई ' वर्ण सावर्ण्यरम्यता ' मात्र उत्पन्न कर सकते हैं , इसी प्रकार मात्र ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने