Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 88.
188. lappuse
... प्राप्त होता है । आदि कवि शाश्वत तथा निर्मल अनुभूतियां प्राप्त होने पर भी कविता का उदय तक नहीं हुआ जब तक उन अनुभूतियों का वर्णन ...
... प्राप्त होता है । आदि कवि शाश्वत तथा निर्मल अनुभूतियां प्राप्त होने पर भी कविता का उदय तक नहीं हुआ जब तक उन अनुभूतियों का वर्णन ...
223. lappuse
... प्राप्त होगा । किसी भी रूप से आनन्द नहीं प्राप्त करने पर तो जड़ता हो समझनी चाहिए । पौरुष को विक्षुब्ध कर देने वाला अधिक ...
... प्राप्त होगा । किसी भी रूप से आनन्द नहीं प्राप्त करने पर तो जड़ता हो समझनी चाहिए । पौरुष को विक्षुब्ध कर देने वाला अधिक ...
224. lappuse
... प्राप्त कर सकते हैं । तो काव्य हो या नाट्य उससे जो अनुभूति प्राप्त होती है उसका कारण है ' वासनासंवाद ' अर्थात् हृदय साम्य । लौकिक ...
... प्राप्त कर सकते हैं । तो काव्य हो या नाट्य उससे जो अनुभूति प्राप्त होती है उसका कारण है ' वासनासंवाद ' अर्थात् हृदय साम्य । लौकिक ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने