Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 80.
283. lappuse
Hari Mohan Mishra. स्वामी दयानन्द ने गुजराती होने पर भी हिन्दी भाषा के माध्यम से १८७५ ई ० में आर्यसमाज के नाम से किया था । यह आन्दोलन नाना ...
Hari Mohan Mishra. स्वामी दयानन्द ने गुजराती होने पर भी हिन्दी भाषा के माध्यम से १८७५ ई ० में आर्यसमाज के नाम से किया था । यह आन्दोलन नाना ...
348. lappuse
Hari Mohan Mishra. वन प्रयास भी किया । समकालीन आलोचना की एकांगिता पर इन्होंने स्थान - स्थान पर खेद प्रकट किया है । अपने इन्दौर वाले भाषण में ...
Hari Mohan Mishra. वन प्रयास भी किया । समकालीन आलोचना की एकांगिता पर इन्होंने स्थान - स्थान पर खेद प्रकट किया है । अपने इन्दौर वाले भाषण में ...
447. lappuse
... पर कहा जा सकता है । रहस्यवाद - रहस्यवाद पर विचार प्रारम्भ करते ही ... भी रहस्य- वाद की हो धारा श्रेष्ठ और उत्कृष्ट है किन्तु शुद्ध काव्य की दृष्टि से इसे भी ...
... पर कहा जा सकता है । रहस्यवाद - रहस्यवाद पर विचार प्रारम्भ करते ही ... भी रहस्य- वाद की हो धारा श्रेष्ठ और उत्कृष्ट है किन्तु शुद्ध काव्य की दृष्टि से इसे भी ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने