Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 68.
77. lappuse
... नाट्य प्रकार विशेषतः वे जिन्हें हम आज की भाषा में जन नाट्य कहते हैं , कण्ठस्थ हो रहे होंगे जिनका लुप्त हो जाना उतना अस्वाभाविक नहीं ...
... नाट्य प्रकार विशेषतः वे जिन्हें हम आज की भाषा में जन नाट्य कहते हैं , कण्ठस्थ हो रहे होंगे जिनका लुप्त हो जाना उतना अस्वाभाविक नहीं ...
81. lappuse
... नाट्य तत्त्व । ( क ) नाट्य का लक्षण - नाट्य शब्द पर बहुत कुछ कहा जा चुका है । इसके कई पर्याय भी नाट्यशास्त्र में जहां - तहां आए हैं ...
... नाट्य तत्त्व । ( क ) नाट्य का लक्षण - नाट्य शब्द पर बहुत कुछ कहा जा चुका है । इसके कई पर्याय भी नाट्यशास्त्र में जहां - तहां आए हैं ...
82. lappuse
... नाट्य का यह अभिनयों के द्वारा ' अभिनयों के द्वारा कार्य की अनुकृति ही नाट्य है । ' कार्य की अनुकृति होने के कारण हीं नाट्य दृश्य और ...
... नाट्य का यह अभिनयों के द्वारा ' अभिनयों के द्वारा कार्य की अनुकृति ही नाट्य है । ' कार्य की अनुकृति होने के कारण हीं नाट्य दृश्य और ...
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Bieži izmantoti vārdi un frāzes
अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने