Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 62.
409. lappuse
Hari Mohan Mishra. अभिव्यंजनावाद को वक्रोक्तिवाद का यूरोपीय उत्थान ( शुक्ल जी ने विलायती उत्थान कहा है ) तो शुक्ल जो ने खीझ में ही आ कर कहा ...
Hari Mohan Mishra. अभिव्यंजनावाद को वक्रोक्तिवाद का यूरोपीय उत्थान ( शुक्ल जी ने विलायती उत्थान कहा है ) तो शुक्ल जो ने खीझ में ही आ कर कहा ...
441. lappuse
... जी के कतिपय आलोचना- निबन्ध प्रकाशित हुए थे ... ने काव्य पर तथा तत्सम्बन्धित अन्य ... जी ने अपने काव्यचिन्तन को ही शास्त्रीय आधार दिया न ...
... जी के कतिपय आलोचना- निबन्ध प्रकाशित हुए थे ... ने काव्य पर तथा तत्सम्बन्धित अन्य ... जी ने अपने काव्यचिन्तन को ही शास्त्रीय आधार दिया न ...
461. lappuse
... जी की तुलना करते हुए इन्होंने कहा है- " प्रसाद जी ने छायावाद की कविता में युग को जहां से इति दी , पन्त ने उसके आगे से अर्थ किया । " " इस ...
... जी की तुलना करते हुए इन्होंने कहा है- " प्रसाद जी ने छायावाद की कविता में युग को जहां से इति दी , पन्त ने उसके आगे से अर्थ किया । " " इस ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने