Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 82.
107. lappuse
... चाहिए | किन्तु नाटककारों के प्रयोगों के आधार पर दूसरे लोग इसे नहीं मानते । मान्यता तो प्रयोगों को ही मिलनी चाहिए । " " अंक ...
... चाहिए | किन्तु नाटककारों के प्रयोगों के आधार पर दूसरे लोग इसे नहीं मानते । मान्यता तो प्रयोगों को ही मिलनी चाहिए । " " अंक ...
110. lappuse
... चाहिए । इस दृष्टि से भरत ने कई बातों पर विस्तार से विचार किया है ... चाहिए , किससे कैसे बोलना चाहिए , किस अभिनय में किस प्रकार से शब्द ...
... चाहिए । इस दृष्टि से भरत ने कई बातों पर विस्तार से विचार किया है ... चाहिए , किससे कैसे बोलना चाहिए , किस अभिनय में किस प्रकार से शब्द ...
326. lappuse
... चाहिए और कवि के ममं तक पहुंचना चाहिए , नकि कवि के संबंध में बाहर से प्राप्त अनेक तथ्यों के द्वारा एक निश्चित दृष्टिकोण बना कर उसके ...
... चाहिए और कवि के ममं तक पहुंचना चाहिए , नकि कवि के संबंध में बाहर से प्राप्त अनेक तथ्यों के द्वारा एक निश्चित दृष्टिकोण बना कर उसके ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने