Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 79.
101. lappuse
... गए हैं । स्वयम् हास्य के छः भेद माने गए हैं- स्मित , हसित , विहसित , उपहसित , अपहसित और अतिहासित । उत्तम , मध्यम और अधम प्रकृति के ...
... गए हैं । स्वयम् हास्य के छः भेद माने गए हैं- स्मित , हसित , विहसित , उपहसित , अपहसित और अतिहासित । उत्तम , मध्यम और अधम प्रकृति के ...
114. lappuse
... गए हैं- अमुख , प्ररोचन , वीथी और प्रहसन । इन चारों को दो वर्गों में अच्छी तरह से बाँटा जा सकता है । आमुख और प्ररोचन का सम्बन्ध ...
... गए हैं- अमुख , प्ररोचन , वीथी और प्रहसन । इन चारों को दो वर्गों में अच्छी तरह से बाँटा जा सकता है । आमुख और प्ररोचन का सम्बन्ध ...
315. lappuse
... गए हैं अतएव इस ग्रन्थ में प्रेमचन्द की ' उपन्यास कला के तत्वों ' का विश्लेषण किया गया है । यूरोपीय साहित्य में उपन्यास कला के ये ...
... गए हैं अतएव इस ग्रन्थ में प्रेमचन्द की ' उपन्यास कला के तत्वों ' का विश्लेषण किया गया है । यूरोपीय साहित्य में उपन्यास कला के ये ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने