Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.3. rezultāts no 86.
44. lappuse
... कारण ( छन्द गति का ही विशेष रूप है ) यह भाषा गतिमया होती है । अरिस्टाटिल यह मानते हैं कि काव्य के लिए छन्द कुछ आवश्यक नहीं है । साफ न ...
... कारण ( छन्द गति का ही विशेष रूप है ) यह भाषा गतिमया होती है । अरिस्टाटिल यह मानते हैं कि काव्य के लिए छन्द कुछ आवश्यक नहीं है । साफ न ...
201. lappuse
... कारण शकुन्तला उन सारी विशेषताओं से होन भट्टनायक ने साधारणत्व बोर वर्णन भी व्यर्थ हो ही और स्वगत है अर्थात् संसार की अन्य नारियों ...
... कारण शकुन्तला उन सारी विशेषताओं से होन भट्टनायक ने साधारणत्व बोर वर्णन भी व्यर्थ हो ही और स्वगत है अर्थात् संसार की अन्य नारियों ...
240. lappuse
... कारण कल्पना ही है । बाह्य जगत् से सम्पर्क स्थापित कराने में नेत्रेन्द्रिय का प्रमुख स्थान है क्योंकि इसके द्वारा किसी वस्तु की ...
... कारण कल्पना ही है । बाह्य जगत् से सम्पर्क स्थापित कराने में नेत्रेन्द्रिय का प्रमुख स्थान है क्योंकि इसके द्वारा किसी वस्तु की ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने