Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 74.
155. lappuse
... के ( दर्शक कतक ) अनुसन्धान के बल से ( रस रहता है ) दर्शक की दृष्टि से अनुसन्धान ... का अर्थ है दर्शक का उसका भोक्ता बालोचना का इतिहास 1 [ १५५.
... के ( दर्शक कतक ) अनुसन्धान के बल से ( रस रहता है ) दर्शक की दृष्टि से अनुसन्धान ... का अर्थ है दर्शक का उसका भोक्ता बालोचना का इतिहास 1 [ १५५.
323. lappuse
Hari Mohan Mishra. दोनों के तत्त्वों को समन्वित रूप में रखने का लेखक ने प्रयास किया है । यूरोपीय आलोचना के तत्त्वों का संग्रह इन्होंने ' कला ...
Hari Mohan Mishra. दोनों के तत्त्वों को समन्वित रूप में रखने का लेखक ने प्रयास किया है । यूरोपीय आलोचना के तत्त्वों का संग्रह इन्होंने ' कला ...
328. lappuse
... के काल में जो आलोचना की कसौटी थी वह एडिसन आदि के अर्वाचीन काल में नहीं रही । " । । वैज्ञानिक प्रक्रिया का दूसरा पक्ष है इतिहास ...
... के काल में जो आलोचना की कसौटी थी वह एडिसन आदि के अर्वाचीन काल में नहीं रही । " । । वैज्ञानिक प्रक्रिया का दूसरा पक्ष है इतिहास ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने