Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 72.
240. lappuse
... कल्पना पर एक निबन्ध लिखा जिसका नाम है " कल्पना का आनन्द " ( Essays on the pleasure of the imagination ) । कलाजगत् और दृश्यमान जगत् में जो बहुत बड़ा अन्तर ...
... कल्पना पर एक निबन्ध लिखा जिसका नाम है " कल्पना का आनन्द " ( Essays on the pleasure of the imagination ) । कलाजगत् और दृश्यमान जगत् में जो बहुत बड़ा अन्तर ...
241. lappuse
... ( कल्पना सम्बन्धी विचारों को ) इतना महत्वपूर्ण समझता है कि एडीसन को वह कल्पना को प्रेरणा देने के मानदण्ड से साहित्य की जांच करने ...
... ( कल्पना सम्बन्धी विचारों को ) इतना महत्वपूर्ण समझता है कि एडीसन को वह कल्पना को प्रेरणा देने के मानदण्ड से साहित्य की जांच करने ...
313. lappuse
... कल्पना का आश्रय लेता है । इस प्रकार काव्य की सृष्टि होती है । " " कल्पना के स्वरूप पर तो कुछ नहीं कहा गया है , किन्तु काव्य सृष्टि की ...
... कल्पना का आश्रय लेता है । इस प्रकार काव्य की सृष्टि होती है । " " कल्पना के स्वरूप पर तो कुछ नहीं कहा गया है , किन्तु काव्य सृष्टि की ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने