Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 81.
79. lappuse
... करने वाले भाण्ड ही कहलाते हैं और नाट्य के अभिनय करने वाले महानट । भरत ने नाट्यशास्त्र को नाट्यवेद सिद्ध करने के लिए जो एड़ी - चोटी ...
... करने वाले भाण्ड ही कहलाते हैं और नाट्य के अभिनय करने वाले महानट । भरत ने नाट्यशास्त्र को नाट्यवेद सिद्ध करने के लिए जो एड़ी - चोटी ...
252. lappuse
... करने वाली कविता है , नैतिक विचारों से उदासीन रहने वाली कविता ... करने का एक साधन है । " " इस प्रकार कला वही कार्य करती है जो भाषा करती है ...
... करने वाली कविता है , नैतिक विचारों से उदासीन रहने वाली कविता ... करने का एक साधन है । " " इस प्रकार कला वही कार्य करती है जो भाषा करती है ...
342. lappuse
... करने की इच्छा भरी रहती है । इसको पूरा करने वाली वृत्ति को प्रज्ञात्मक भाव कहते हैं । मनोमुग्धकारी वस्तु विषयक अनुभव प्राप्त करने ...
... करने की इच्छा भरी रहती है । इसको पूरा करने वाली वृत्ति को प्रज्ञात्मक भाव कहते हैं । मनोमुग्धकारी वस्तु विषयक अनुभव प्राप्त करने ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने