Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 82.
2. lappuse
... एक झलक मिल जाती किया है- स्थान पर है । " .. अब तक जो कुछ कहा जा चुका है उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि जिस प्रकार एक निबन्ध में किसी युग ...
... एक झलक मिल जाती किया है- स्थान पर है । " .. अब तक जो कुछ कहा जा चुका है उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि जिस प्रकार एक निबन्ध में किसी युग ...
107. lappuse
... एक - एक कार्यावस्था की अन्विति भी कह सकते हैं , विशेष ध्यान दिया गया कार्यं को ही दिखाने की व्यवस्था दी ( ४ घण्टे ) किया है , ' क्योंकि ...
... एक - एक कार्यावस्था की अन्विति भी कह सकते हैं , विशेष ध्यान दिया गया कार्यं को ही दिखाने की व्यवस्था दी ( ४ घण्टे ) किया है , ' क्योंकि ...
450. lappuse
... एक ही कारण , एक ही मूल्य हैं । जब प्रकृति को अनेक रूपता में , परिवर्तन शील विभिन्नता में , कवि ने ऐसे तारतम्य को खोजने का प्रयास किया ...
... एक ही कारण , एक ही मूल्य हैं । जब प्रकृति को अनेक रूपता में , परिवर्तन शील विभिन्नता में , कवि ने ऐसे तारतम्य को खोजने का प्रयास किया ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने