Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 78.
28. lappuse
... उसका बौद्धिक विश्लेषण करता और अन्त मे मूल्यांकन करता अर्थात् उसके सम्बन्ध में किसी निर्णय पर पहुंचता है । यह मनोवैज्ञानिक क्रम है ...
... उसका बौद्धिक विश्लेषण करता और अन्त मे मूल्यांकन करता अर्थात् उसके सम्बन्ध में किसी निर्णय पर पहुंचता है । यह मनोवैज्ञानिक क्रम है ...
216. lappuse
... उसके अनुसार यह किसी स्वरिणी की उक्ति है । गोदावरी नदी के किनारे को कुसुमित कुंज उसका सहेट है । किसी धार्मिक व्यक्ति के आते - जाते ...
... उसके अनुसार यह किसी स्वरिणी की उक्ति है । गोदावरी नदी के किनारे को कुसुमित कुंज उसका सहेट है । किसी धार्मिक व्यक्ति के आते - जाते ...
457. lappuse
... उसके ही क्षेत्र में - उसके अपने साम्राज्य में सम्राज्ञी की भांति देखने की उदारता आधुनिक हिन्दी के कवियों ने नहीं दिखाई पन्त जी इस ...
... उसके ही क्षेत्र में - उसके अपने साम्राज्य में सम्राज्ञी की भांति देखने की उदारता आधुनिक हिन्दी के कवियों ने नहीं दिखाई पन्त जी इस ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने