Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
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1.–3. rezultāts no 3.
157. lappuse
Hari Mohan Mishra . शंकुक ( ल ० ८४० ई ० , काश्मीर ) शंकुक की भी नाट्यशास्त्र की व्याख्या अद्यापि अनुपलब्ध ही है , किन्तु इतना है ... ई०, काश्मीर) ...
Hari Mohan Mishra . शंकुक ( ल ० ८४० ई ० , काश्मीर ) शंकुक की भी नाट्यशास्त्र की व्याख्या अद्यापि अनुपलब्ध ही है , किन्तु इतना है ... ई०, काश्मीर) ...
191. lappuse
Hari Mohan Mishra. मट्टनायक ( ९ ३५ - ६८५ ई ० काश्मीर ) संस्कृत के शुद्ध रसवादी आलोचकों में भट्टनायक प्रथम और सर्वश्रेष्ठ हैं ... ई० काश्मीर) ...
Hari Mohan Mishra. मट्टनायक ( ९ ३५ - ६८५ ई ० काश्मीर ) संस्कृत के शुद्ध रसवादी आलोचकों में भट्टनायक प्रथम और सर्वश्रेष्ठ हैं ... ई० काश्मीर) ...
290. lappuse
... ई ० और १ ९ ३६ ई ० में क्रमशः प्रकाशित कराया । इस प्रकार लग- भग चालीस वर्ष के अध्ययन - मनन का फल इनकी उक्त दोनों ... ई० में पोद्दार जी ...
... ई ० और १ ९ ३६ ई ० में क्रमशः प्रकाशित कराया । इस प्रकार लग- भग चालीस वर्ष के अध्ययन - मनन का फल इनकी उक्त दोनों ... ई० में पोद्दार जी ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने