Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 82.
64. lappuse
... इसी अर्थ में व्यवहार किया जाता है । अथवं वेद में इसी अर्थ में यह शब्द व्यवहृत हुआ है । " 1 विराट् शब्द में ( विशेषण राजते ) सौंदयं और ...
... इसी अर्थ में व्यवहार किया जाता है । अथवं वेद में इसी अर्थ में यह शब्द व्यवहृत हुआ है । " 1 विराट् शब्द में ( विशेषण राजते ) सौंदयं और ...
250. lappuse
... इसी जगत् का होने के कारण इसी जगत् का वर्णन करता है किन्तु प्रतीकवादी कलाकार इस जगत् का होने पर भी शुद्ध और शाश्वत जगत् का वर्णन ...
... इसी जगत् का होने के कारण इसी जगत् का वर्णन करता है किन्तु प्रतीकवादी कलाकार इस जगत् का होने पर भी शुद्ध और शाश्वत जगत् का वर्णन ...
351. lappuse
... इसी दृष्टि से आकांक्षा का अतिव्यापक लक्षण भी किया । रामायण , महाभारत और रघुवंश बादि महावाक्य माने गए हैं । रघुवंश के महावाक्य होने ...
... इसी दृष्टि से आकांक्षा का अतिव्यापक लक्षण भी किया । रामायण , महाभारत और रघुवंश बादि महावाक्य माने गए हैं । रघुवंश के महावाक्य होने ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने