Ādhunika Hindī ālocanāGrantha-Bhāratī, 1967 - 475 lappuses |
No grāmatas satura
1.–3. rezultāts no 84.
201. lappuse
... आदि संचारीभाव और भ्रूभंगिमा आदि अनुभाव कहे जायेंगे । इनमें से सबों का साधारणीकरण होता है । शकुन्तला के साधारणीकरण का क्या अर्थ है ...
... आदि संचारीभाव और भ्रूभंगिमा आदि अनुभाव कहे जायेंगे । इनमें से सबों का साधारणीकरण होता है । शकुन्तला के साधारणीकरण का क्या अर्थ है ...
202. lappuse
... आदि के आधार पर प्रतिबन्धक अनन्त हो सकते हैं । शकुन्तला में मात्र परकीय भाव प्रति- बन्धक है किन्तु सीता आदि में परकीयभाव और ...
... आदि के आधार पर प्रतिबन्धक अनन्त हो सकते हैं । शकुन्तला में मात्र परकीय भाव प्रति- बन्धक है किन्तु सीता आदि में परकीयभाव और ...
390. lappuse
... आदि स्थायी भाव को अपना समझे , किन्तु अपने रतिस्थायीभाव से दर्शक को दर्शक मण्डलो में व्रीड़ा आदि के कारण आनन्द नहीं प्राप्त हो सकता ...
... आदि स्थायी भाव को अपना समझे , किन्तु अपने रतिस्थायीभाव से दर्शक को दर्शक मण्डलो में व्रीड़ा आदि के कारण आनन्द नहीं प्राप्त हो सकता ...
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अथवा अधिक अपने अभिनवगुप्त अर्थ अर्थात् अलंकार आदि आनन्दवर्धन आलोचना इन इन्होंने इस इस प्रकार ई० उसका उसके उसे एक ऐसा ओर कर करने कला कल्पना कवि कहा जा कहा है का काल कालिदास काव्य काव्य के किन्तु किया गया है किया है किसी की कुछ के कारण के द्वारा के लिए के साथ को कोई क्योंकि गए गया है गुण चाहिए जा सकता है जाता है जिस जी ने जो तक तथा तो था दिया दो दोनों नहीं है नाटक नाट्य नाम ने पर पृ० प्रकार प्रथम प्रयोग प्राप्त प्लेटो बात भरत भाव भी भेद मात्र मानते हैं माना जा सकता में ही यदि यह यहां या ये रस लक्षण वस्तु वह वही वाले विचार विवेचन विशेष वे शब्द शुक्ल जी संस्कृत सकती साहित्य से ही स्पष्ट हिन्दी हिन्दी साहित्य ही ही है हुआ है और है कि हैं हो सकता होता है होती होने